शिक्षा मनोविज्ञान

by ALOK VERMA

शिक्षा मनोविज्ञान

"मनोविज्ञान सीखने से सम्बंधित मानव विकासके 'कैसे सीखा जाए' की व्याख्या करती है, शिक्षासीखने के 'क्या सिखा जाए' को प्रदान करने कीचेष्टा करती है।"
-क्रो व क्रो
मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन करता है और शिक्षा मानव व्यवहार में परिवर्तन करती है, अतः शिक्षा और मनोविज्ञान में गहन सम्बन्ध है।*शिक्षा क्या है*शिक्षा शब्द संस्कृत के 'शिक्ष्' धातु से बना है, जिसका अर्थ है :सीखना अंग्रेजी शब्द एजुकेशन (Education)लैटिन भाषा के एडुकेयर(Educare) एवं एडुसीयर (Educere) से बना है, जिसका अर्थ है 'नेतृत्व देना, बाहर लाना'*शिक्षा का अर्थ**A). संकुचित सन्दर्भ में (प्राचीन दृष्टिकोण)* :
1. 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध (1879) तक
2. औपचारिक शिक्षा (किताबी ज्ञान)
3. शिक्षा विद्यालय तक सीमित
4. ज्ञानात्मक पक्ष पर बल
5. सैद्धान्तिक पक्ष पर बल
*(B). व्यापक सन्दर्भ में (नवीन दृष्टिकोण)* :
1. 1879 से अब तक (20वीं सदी)
2. अनौपचारिक शिक्षा
3. शिक्षा जीवन पर्यन्त
4. सर्वांगीण विकास पर बल
5. व्यावहारिक पक्ष पर बल
*मनोविज्ञान क्या है?*मनोविज्ञान के अंग्रेजी पर्याय साइकोलॉजी (Psychology)शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) भाषा के साइकी(Psyche) और लोगस (Logos) से हुई है। साइकी का अर्थहै 'आत्मा' और लोगस का अर्थ है 'अध्ययन'। अतः मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है 'आत्मा का अध्ययन'।*अमरीकी* *विद्वान विलियम जेम्स (1842-1910) ने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र के शिकंजे से मुक्त कर एक स्वतंत्र विद्या का रूप दिया। इसलिए इन्हे मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।**मनोविज्ञान की उत्पत्ति*मनोविज्ञान की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुई। कालान्तर में मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन होता गया। जो इस प्रकार है :*1. आत्मा का विज्ञान :* अरस्तू, प्लेटो,अरिस्टोटल और डेकोर्टे आदि यूनानी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना, किन्तु आत्मा की प्रकृति की अस्पष्टता के कारण 16वीं शताब्दी में मनोविज्ञान का यह अर्थ अस्वीकृत कर दिया गया।*TRICK-"आत्मा से आप यू अड़े"*
1. आत्मा से-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को आत्माका विज्ञान माना
2. आ-अरस्तू (दार्शनिक)
3. प-प्लेटो (दार्शनिक)
4. यू-यूनानी दार्शनिक थे सभी
5. अ-अरिस्टोटल (दार्शनिक)
6. डे-डेकार्टे (दार्शनिक)
*मस्तिष्क का विज्ञान* : 17वीं शताब्दी में दर्शनीको ने मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा। इनमेइटलीके प्रसिद्ध दार्शनिक पॉम्पोनॉजी के अलावा लॉक औरबर्कली भी प्रमुख है। कोई भी विद्वान मन की प्रकृति तथा स्वरुप का निर्धारण नही कर सका, अतः यह परिभाषा भी मान्यता नही पा सकी।*TRICK-"पलक की बाई मस्ति में"*
1. प-पॉम्पोनॉजी (दार्शनिक)
2. लक-लॉक (दार्शनिक)
की-silent
3. बा-बर्कली (दार्शनिक)
4. इटली-यह इटली के प्रसिद्ध दार्शनिक थे
5. मस्ति-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को मस्तिष्कका विज्ञान माना
*चेतना का विज्ञान :* 19वीं शताब्दी के मनोविज्ञानकों विलियमवुन्ट, विलियम जेम्स, वाइव्स और जेम्स सल्लीआदि ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना। इनका मानना था, कि मनोविज्ञान मनुष्य की चेतन क्रियाओ का अध्ययन करता है।
मनोविज्ञान केवल चेतन मन का ही नही, बल्कि अचेतन और अवचेतन आदि प्रक्रियाओ का अध्ययन भी करता है। मनोविज्ञान का यह अर्थ सीमित होने के कारण सर्वमान्य न हो सका। मैक्डूगल ने अपनी पुस्तक 'आउटलाइनसाइकोलॉजी' में चेतना शब्द की कड़ी आलोचना की।
*TRICK-"चेतना को विलियम ने सजवाइ"*
1. चेतना-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को चेतना काविज्ञान माना
को-silent
2. विलियम-विलियम वुन्ट
ने-silent
3. स-सल्ली अर्थात जेम्स सल्ली (दार्शनिक)
4. ज-जेम्स अर्थात विलियम जेम्स (दार्शनिक)
5. वाइ-वाइव्स (दार्शनिक)
*व्यवहार का विज्ञान* : 20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में मनोविज्ञान के अनेक अर्थ सुझाए गए, इनमे से "मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।" अर्थ सर्वाधिक मान्य रहा। इस सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित है :
*1. वाटसन* : मनोविज्ञान, व्यवहार का निश्चित विज्ञान है।
*2. वुडवर्थ* : मनोविज्ञान वातावरण के सम्बन्ध में व्यक्ति की क्रियाओ का वैज्ञानिक अध्ययन है।
*3. स्किनर* : मनोविज्ञान, जीवन की सभी प्रकार की परिस्थितियों में प्राणी की प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। or
मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।
*4. मन* : आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।
*5. क्रो व क्रो* : मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव सम्बन्धो का अध्ययन है।
*6. मैक्डूगल* : मनोविज्ञान जीवित वस्तुओ के व्यवहार का विधायक विज्ञान है।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम वुडवर्थ के शब्दों में इस निष्कर्ष पर पहुँचते है :
"सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया।फिर उसने अपने मन या मस्तिष्क का त्याग किया। उसकेबाद उसने चेतना का त्याग किया। अब वह व्यवहार कीविधि को स्वीकार करता है।"
TRICK-*सिवम (शिवम)व्यवहार में वुड(लकड़ी/woodसा कठौर) के जैसा*1. सि-स्किनर (दार्शनिक)
2. व-वाटसन (दार्शनिक)
3. म-मन (दार्शनिक)
4. व्यवहार-इन सभी ने मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञानमाना
5. में-मैक्डूगल (दार्शनिक)
6. वुड-वुडवर्थ (दार्शनिक)
7. के-क्रो व क्रो (दार्शनिक)
जैसा-silent
*शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है*शिक्षा सम्बन्धी मनोविज्ञान अर्थात यह शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ का विश्लेषण करने के लिए स्किनर ने निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किए है :
1. शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र मानव व्यवहार है।
2. शिक्षा मनोविज्ञान खोज और निरिक्षण से प्राप्त तथ्यों का संग्रह करता है।
3. शिक्षा मनोविज्ञान संगृहीत ज्ञान को सिद्धान्त रूप देता है।
4. शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की समस्याओ के समाधान के लिए पद्धतियों का प्रतिपादन करता है।
*शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ :**1. स्किनर* : शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से सम्बन्धित सम्पूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।
*2. क्रो व क्रो* : शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सिखाने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।
*3. कॉलसनिक* : शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों और अनुसन्धान का शिक्षा में प्रयोग है।
*4. स्टीफन*: शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।
*5. सॉरे व टेलफ़ोर्ड* : शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सिखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओ की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से सम्बन्धित है।
*उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है, की:*1. शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।
2. शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को अधिक सरल व सुगम बनाता है।
3. शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है, क्योंकि इसके अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग होता है।
4. शिक्षा मनोविज्ञान में मनोविज्ञान के सिद्धांतो व विधियों का प्रयोग होता है।*शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य*स्किनर ने शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्यों को दो भागो मेंविभाजित किया है-*1. सामान्य उद्देश्य*
(i). सिद्धांतो की खोज तथा तथ्यों का संग्रह करना।
(ii). बालक के व्यक्तित्व का विकास करना।
(iii). शिक्षण कार्य में सहायता देना।
(iv). शिक्षण विधि में सुधार करना।
(v). शिक्षा के उद्देश्य व लक्ष्यों की पूर्ति करना।
*2. विशिष्ट उद्देश्य*
(i). बालको के प्रति निष्पक्ष व सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण।
(ii). शिक्षा के स्तरों व उद्देश्यों को निश्चित करना।
(iii). शिक्षण परिणाम जानने में सहायता करना।
(iv). छात्र व्यवहार को समझने में सहायता देना।
(v). शिक्षण समस्या के समाधान हेतु सिद्धांतो का ज्ञान।
* शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र*शिक्षा मनोविज्ञान एक नवीन एवं विकासशील व्यावहारिक विज्ञान है। इसलिए शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की सीमाएँ अभी निर्धारित नही हो सकी है।शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का वह विज्ञान है जो शिक्षण-अधिगम समस्याओं का अध्ययन करके सीखने वाले के व्यवहार में वांछित परिवर्तन है तथा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करने के लिए शिक्षक के कार्य में सहायता देता है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित अध्ययन सामग्री को सम्मिलित किया गया है-
1. बालक की विशेष योग्यताओं का अध्ययन।
2. बालक के वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन।
3. बालक के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन।
4. बालक की रूचि व अरुचि का अध्ययन।
5. बालक की मूल प्रवत्तियों का अध्ययन।
6. बालक के सर्वांगीण विकास का अध्ययन।
7. अपराधी, असामान्य और मंद बुद्धि बालकों का अध्ययन।
8. शिक्षण विधियों के उपयोग सम्बन्धी अध्ययन।
9. शिक्षा के उद्देश्यों व उनको प्राप्त करने के तरीकों का अध्ययन।
10. अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन।
11. पाठ्यक्रम निर्माण से सम्बन्धित अध्ययन।
12. शिक्षा की समस्याओं का अध्ययन।
13. सीखने की क्रियाओं का अध्ययन।
*निष्कर्ष रूप में स्किनर का कथन द्रष्टव्य है*- "शिक्षामनोविज्ञान के क्षेत्र में वह सब ज्ञान और विधियाँ सम्मिलितहै, जो सीखने की प्रक्रिया से अधिक अच्छी प्रकार समझनेऔर अधिक कुशलता से निर्देशित करने के लिए आवश्यकहै।"*शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता*:हुए शिक्षा देनी चाहिए। यह तभी संभव होगा जब शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी होगी।शिक्षण का मुख्य केंद्र बालक है। बालक की रूचि, शारीरिक क्षमता, बौद्धिक क्षमता, व्यक्तित्व आदि को मद्देनजर रखते*स्किनर के अनुसार*- "शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों कीतैयारी की आधारशिला है।"अतः शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित उपयोगिताएँ है-
1. स्वयं की योग्यता का ज्ञान एवं तैयारी।
2. बाल विकास की अवस्थाओं का ज्ञान।
3. बाल स्वभाव व व्यवहार का ज्ञान।
4. बालको की क्षमता व रूचि का ज्ञान।
5. बालको की अवश्यक्ताओ का ज्ञान।
6. बालको के चरित्र निर्माण में सहायक।
7. बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान।
8. बालको के सर्वांगीण विकास में सहायक।
9. बालको की मूल प्रवत्तियो का ज्ञान।
10. कक्षा की समस्याओ का समाधान।
11. अनुशासन में सहायक।
12. उपयोगी पाठ्यक्रम के निर्माण में सहायक।
13. यथोचित शिक्षण विधियों के प्रयोग का ज्ञान।
14. मूल्यांकन की नई विधियों का प्रयोग।
इस प्रकार मनोविज्ञान का ज्ञान ही शिक्षक की सफलता का रहस्य है। इस ज्ञान की प्राप्ति के बिना उसे असफलता और अकुशलता के बीच अपने व्यावसायिक जीवन की यात्रा करनी पड़ती है। इसलिए शिक्षक अपने कर्त्तव्यों और दायित्वों का पालन करने में हर समय मनोविज्ञान से सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त करता है।*शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का योगदान*1. मनोविज्ञान ने शिक्षा को बाल-केंद्रित बनाकर बालक को महत्त्व दिया।
2. बालको की विभिन्न अवस्थाओ के अनुरूप शिक्षण विधियों की व्यवस्था की।
3. बालको की रुचियों व मूल प्रवत्तियो को शिक्षा का आधार बनाया।
4. बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की।
5. पाठ्यक्रम का निर्माण बालको की आयु, रूचि व स्तरानुसार किया जाने लगा।
6. पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओ पर बल दिया गया।
7. दण्ड के स्थान पर प्रेम व सहानुभूति को अनुशासन का आधार बनाया।
8. शिक्षक को शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति हुई या नही, की जानकारी देता है।
9. मूल्यांकन के लिए नवीन विधियों की खोज की।
*मनोविज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य*1. मनोविज्ञान का जन्म अरस्तू के समय दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुआ।
2. ,वाटसन ने मनोविज्ञान को व्यवहार का शुद्ध विज्ञान माना है।
3. विलियम जेम्स को मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
4. जर्मनी के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक विलियम वुन्ट ने 1879 ई.में लिपजिंग में प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना करके मनोविज्ञान को वैज्ञानिक स्वरुप दिया।
5. वॉल्फ ने शक्ति मनोविज्ञान का प्रतिपादन किया।
6. आधुनिक शिक्षा के जनक माने जाते है-जे.ए.स्टिपर
स्मरणीय बिंदु :
1. वाटसन को व्यवहारवादी मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
2. रूसो ने शिक्षा में मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण की शुरुआत की।
3. मनोविज्ञान की शाखा के रूप में शिक्षा मनोविज्ञान काजन्म 1900 ई. में हुआ।
4. मनोविज्ञान व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।
5. मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान (Positive Science) है।
6. प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जन्मदाता विलियम वुन्ट थे।
7. कॉलसनिक शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ प्लेटो से मानते है।
9. स्किनर शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ अरस्तू से मानते है।
*व्यक्तित्व के प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार है-**1. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त* : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रायड ने किया था। उनके अनुसार व्यक्तित्व के तीन अंग है-
(i). इदम् (Id)
(ii). अहम् (Ego)
(iii). परम अहम् (Super Ego)
ये तीनो घटक सुसंगठित कार्य करते है, तो व्यक्ति 'समायोजित' कहा जाता है। इनसे संघर्ष की स्थिति होने पर व्यक्ति असमायोजित हो जाता है।
*(i). इदम् (Id)* : यह जन्मजात प्रकृति है। इसमें वासनाएँ और दमित इच्छाएँ होती है। यह तत्काल सुख व संतुष्टि पाना चाहता है। यह पूर्णतः अचेतन में कार्य करता है। यह ' *पाश्विकता काप्रतीक* है।
*(ii). अहम् (Ego)* : यह सामाजिक मान्यताओं व परम्पराओं के अनुरूप कार्य करने की प्रेरणा देता है। यह संस्कार, आदर्श, त्याग और बलिदान के लिए तैयार करता है। यह *देवत्व काप्रतीक* है।
*(iii). परम अहम् (Super Ego)* : यह इदम् और परम अहम् के बीच संघर्ष में मध्यस्थता करते हुए इन्हे जीवन की वास्तविकता से जोड़ता है अहम् मानवता का प्रतीक है, जिसका सम्बन्ध वास्तविक जगत से है। जिसमे अहम् दृढ़ व क्रियाशील होता है, वह व्यक्ति समायोजन में सफल रहता है। इस प्रकार व्यक्तित्व इन तीनों घटकों के मध्य' *समायोजन का परिणाम*' है।
*शरीर रचना सिद्धान्त*शरीर रचना सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के प्रवर्तक शैल्डन थे। इन्होंने शारीरिक गठन व शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या करने का प्रयास किया। यह शरीर रचना व व्यक्तित्व के गुणों के बीच घनिष्ठ संबंध मानते हैं। इन्होंने शारीरिक गठन के आधार पर व्यक्तियों को तीन भागों- *गोलाकृति, आयताकृति,और लंबाकृति* में विभक्त किया। गोलाकृति वाले प्रायः भोजन प्रिय, आराम पसंद, शौकीन मिजाज, परंपरावादी, सहनशील, सामाजिक तथा हँसमुख प्रकृति के होते हैं। आयताकृति वाले प्रायः रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी, जोशीले, उद्देश्य केंद्रित तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं। लम्बाकृति वाले प्रायः गुमसुम, एकांतप्रिय अल्पनिद्रा वाले, एकाकी, जल्दी थक जाने वाले तथा निष्ठुर प्रकृति के होते हैं।*विशेषक सिद्धान्त*. विशेषक सिद्धान्त : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कैटल ने किया था। उसने कारक विश्लेषण नाम की सांख्यिकीय प्रविधि का उपयोग करके व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करने वाले कुछ सामान्य गुण खोजे, जिन्हें *व्यक्तित्व विशेषक* 'नाम दिया। इसके कुछ कारक है- *धनात्मक चरित्र, संवेगात्मक स्थिरता,सामाजिकता, बृद्धि आदि।*
कैटल के अनुसार व्यक्तित्व वह विशेषता है, जिसके आधार पर विशेष परिस्थिति में व्यक्तित के व्यवहार का अनुमान लगाया जाता है। व्यक्तित्व विशेषक मानसिक रचनाएँ है। इन्हे व्यक्ति के व्यवहार प्रक्रिया की निरंतरता व नियमितता के द्वारा जाना जा सकता है।
*माँग सिद्धान्त*माँग सिद्धान्त : इस सिद्धांत के प्रतिपादक हेनरी मुझे मानते हैं कि मानव एक प्रेरित जीव है जो अपने अंतर्निहित आवश्यकताओं तथा दबावों के कारण जीवन में उत्पन्न तनाव को कम करने का निरंतर प्रयास करता रहता है। वातावरण व्यक्ति के अंदर कुछ माँगो को उत्पन्न करता है। यह माँगे ही व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले व्यवहार को निर्धारित करती है।
*मुरे ने व्यक्तित्व माँग की 40 माँगे ज्ञात की*
शिक्षा मनोविज्ञान : व्यक्तित्व'व्यक्तित्व' अंग्रेजी के पर्सनेल्टी (Personality) का पर्याय है। पर्सनेल्टी शब्द की उत्पत्ति भाषा के 'पर्सोना'शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है 'मुखोटा (Mask)'। उस समय व्यक्तित्व का तात्पर्य बाह्य गुणों से लगाया जाता था। यह धारणा व्यक्तित्व के पूर्ण अर्थ की व्याख्या नही करती। व्यक्तित्व की कुछ आधुनिक परिभाषाएँ दृष्टव्य है :1. गिलफोर्ड : व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है।
2. वुडवर्थ : व्यक्तित के व्यवहार की एक समग्र विशेषता ही व्यक्तित्व है।
3. मार्टन : व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है।
4. बिग एवं हंट : व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप है, जो व्यक्तित के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।
5. ऑलपोर्ट (Imp) : व्यक्तित्व का सम्बन्ध मनुष्य की उन शारीरिक तथा आन्तरिक वृत्तियों से है, जिनके आधार पर व्यक्ति अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करता है।
इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते है, कि व्यक्तित्व एक व्यक्ति के समस्त मानसिक एवं शारीरिक गुणों का ऐसा गतिशील संगठन है, जो वातावरण के साथ उस व्यक्ति का समायोजन निर्धारित करता है।*शिक्षा मनोविज्ञान : व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक**1. वंशानुक्रम का प्रभाव :* व्यक्तित्व के विकास पर वंशानुक्रम का प्रभाव सर्वाधिक और अनिवार्यतः पड़ता है। स्किनर व हैरिमैन का मत है कि- "मनुष्य का व्यक्तित्व स्वाभाविक विकास का परिणाम नहीं है। उसे अपने माता-पिता से कुछ निश्चित शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और व्यावसायिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।"*2. सामाजिक वातावरण का प्रभाव :* बालक जन्म के समय मानव-पशु होता है। उसमें सामाजिक वातावरण के सम्पर्क से परिवर्तन होता है। वह भाष, रहन-सहन का ढंग, खान-पान का तरीका, व्यवहार, धार्मिक व नैतिक विचार आदि समाज से प्राप्त करता है। समाज उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है। अतः बालकों को आदर्श नागरिक बनाने का उत्तरदायित्व समाज का होता है।*3. परिवार का प्रभाव :* व्यक्तित्व के निर्माण का कार्य परिवार में आरम्भ होता है, जो समाज द्वारा पूरा किया जाता है। परिवार में प्रेम, सुरक्षा और स्वतंत्रता के वातावरण से बालक में साहस, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता आदि गुणों का विकास होता है। कठोर व्यवहार से वह कायर और असत्यभाषी बन जाता है।*4. सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव :* समाज व्यक्ति का निर्माण करता है, तो संस्कृति उसके स्वरुप को निश्चित करती है। मनुष्य जिस संस्कृति में जन्म लेता है, उसी के अनुरूप उसका व्यक्तित्व होता है।*5. विद्यालय का प्रभाव :* पाठ्यक्रम, अनुशासन , खेलकूद, शिक्षक का व्यवहार, सहपाठी आदि का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्तित्व के विकास पर पडता है। विद्यालय में प्रतिकूल वातावरण मिलने पर बालक कुंठित और विकृत हो जाता है।*6. संवेगात्मक विकास :* अनुकूल वातावरण में रहकर बालक संवेगों पर नियंत्रण रखना सीखता है। संवेगात्मक असंतुलन की स्थिति में बालक का व्यक्तित्व कुंठित हो जाता है। इसलिए वांछित व्यक्तित्व के लिए संवेगात्मक स्थिरता को पहली प्राथमिकता दी जाती है।*7. मानसिक योग्यता व रूचि का प्रभाव :* व्यक्ति की जिस क्षेत्र में रूचि होती है, वह उसी में सफलता पा सकता है और सफलता के अनुपात में ही व्यक्तित्व का विकास होता है। अधिक मानसिक योग्यता वाला बालक सहज ही अपने व्यवहारों को समाज के आदर्शों के अनुकूल बना देता है।*8. शारीरिक प्रभाव :* अन्तः स्त्रावी ग्रंथियाँ, नलिका विहीन ग्रंथियाँ, शारीरिक रसायन, शारीरिक रचना आदि व्यक्तित्व को प्रभावित करते है। शारीर की दैहिक दशा, मस्तिष्क के कार्य पर प्रभाव डालने के कारण व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। इनके अलावा बालक की मित्र-मण्डली और पड़ोस भी उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते है।शिक्षा मनोविज्ञान : अतिमहत्त्वपूर्ण सुपर-40 प्रश्नोत्तरी1. मनोविज्ञान के जनक माने जाते है?
-विलियम जेम्स
2. मनोविज्ञान को व्यवहार का निश्चित विज्ञान किसने माना है?
-वाटसन
3. मनोविज्ञान अध्ययन है-
-व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन
4. साइकोलॉजी शब्द जिन दो शब्दों से मिलकर बना है, वह है-
-Psyche + Logos
5. शिक्षा को सर्वांगीण विकास का साधन माना है-
-महात्मा गाँधी ने
6. मनोविज्ञान को मस्तिष्क का विज्ञान मानने वाले विद्वान कौन थे?
-पॉम्पोनॉजी
7. मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान किसने माना?
-वुन्ट, वाइव्स और जेम्स ने
8. प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जनक कौन थे?
-वुन्ट
9. वर्तमान में मनोविज्ञान को माना जाता है-
-व्यवहार का विज्ञान
10. मनोविश्लेषणवाद के प्रवर्तक कौन थे?
-फ्रायड
11. मानसिक परिक्षण की विधि विकसित करने वाले विद्वान कौन थे?
-बिने
12. मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान नही है-
-शिक्षा के सैद्धान्तिक पक्ष पर बल
13. "आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।" यह परिभाषा किसकी है?
-मन की
14. मनोविज्ञान के अंग्रेजी पर्याय 'साइकोलॉजी' शब्द की व्युत्पत्ति हुई-
-ग्रीक भाषा से
15. शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री सम्बन्धित है-
-सीखना
16. मनोविज्ञान को 'विशुद्ध विज्ञान' माना है-
-जेम्स ड्रेवर ने
17. "मनोविज्ञान मन का वैज्ञानिक अध्ययन है।" कथन किसका है?
-वेलेन्टाइन
18. मनोविज्ञान है-
-विधायक विज्ञान
19. मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है-
-मानव, जीव-जन्तुओं तथा संसार के अन्य सभी प्राणियोंका अध्ययन
20. व्यवहारवाद का जन्मदाता किसे माना जाता है?
-वाटसन
21. शिक्षा में मनोवैज्ञानिक आंदोलन का सूत्रपात किसने किया?
-रूसो ने
22. "शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापको की तैयारी की आधारशिला है।" यह कथन किसका है?
-स्किनर
23. कोलसनिक शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ किससे मानते है?
-प्लेटो से
24. मूल-प्रवृत्तियाँ सम्पूर्ण मानव-व्यवहार की चालक है। किसने कहा?
-मैक्डूगल
25. शिक्षा मनोविज्ञान ने स्पष्ट व निश्चित स्वरुप कब धारण किया?
-अमरीकी मनोवैज्ञानिक थार्नडाइक, जुड, स्टेनले हाल,टरमन आदि के प्रयासों से शिक्षा मनोविज्ञान ने 1920 ई. मेंस्पष्ट व निश्चित स्वरुप धारण किया।
26. मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान है- बालकेंद्रित, मूल्यांकन और पाठ्यक्रम
27. शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन किया जाता है-मूल प्रवृत्तियों, अनुशासन और अधिगम
28. शिक्षण का मुख्य केंद्र होता है?
-बालक
29. "मनोविज्ञान, शिक्षक को अनेक धारणाएँ और सिद्धान्त प्रदान करके उसकी उन्नति में योग देता है।" यह किसने कहा?
-कुप्पूस्वामी ने
30. शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति है-
-वैज्ञानिक
31. शिक्षा में बालक का सम्बन्ध किससे होता है? -शिक्षक, विषय-वस्तु और समाज से
32. शिक्षक मनोविज्ञान का उपयोग किसके लिए करता है?-स्वयं, बालक और अनुशासन के लिए
33. मूल्यांकन किसके लिए आवश्यक है?-छात्र और शिक्षक के लिए
34. शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन अध्यापक को इसलिए करना चाहिए, ताकि- इससे वह अपने शिक्षण को प्रभावी बना सकता है।
35. शिक्षा मनोविज्ञान आवश्यक है -शिक्षक, छात्र और अभिभावक
36. अध्यापक वही सफल है जो-बालको की रूचि को जानता हो
37. कक्षा से पलायन करने वाले बालको के प्रति आपका व्यवहार होगा-निदानात्मक
38. "शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन एवं व्याख्या करती है।" यह कथन है--क्रो व क्रो का
39. शिक्षा मनोविज्ञान एक शिक्षक के लिए मूल्यवान है। उसका सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है- उसे विद्यार्थी के बारे में ज्ञान मिलता है।
40. "मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है।" यह कथन है-
-स्किनरप

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