बुद्धि का स्वरूप

by ALOK VERMA

बुद्धि का स्वरुप

बुद्धि : अर्थ और परिभाषाये
  • मनुष्य बुद्धि के कारण ही श्रेष्ट समझा जाता है .
  • स्टर्न-बुद्धि एक सामान्य योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति नयी परिस्थितियों में अपने विचारों को जान बुझकर समायोजित करता है .
  • बर्ट - बुद्धि सापेक्ष रूप में नविन परिस्थितियों में अभियोजित करने की जन्मजात योग्यता है .
  • बिने - किसी समस्या को सम्झनाम,उसके विषय में तर्क करना तथा किसी निश्चित निर्णय पर पंहुचना बुद्धि की आवश्यक क्रियाये है .
  • बकिंघम - व्यक्ति की सामान्य योग्यता का नाम ही बुद्धि है .
  • बुद्धि एक जन्मजात शक्ति है यह बन्शानुक्रम से प्राप्त होती है .
  • बुद्धि सिखने की क्षमता है .
  • बुद्धि विभिनं योग्यताओ का समूह है .
  • बुद्धि और ज्ञान में अंतर है
  • बुद्धि में आत्मनिरीक्षण की शक्ति होती है.
  • १. वंशानुक्रम , २. वातावरण, ३. आयु, ४. प्रजाति, ५ लिंग,६स्वास्थ्य -बुद्धि को प्रभावित करने वाले करक है .
  • बुद्धि के सिद्धांत -
  • 1. एक सतात्मक सिद्धांत - इस सिद्धांत के समर्थक बिने, टरमैंन तथा स्टर्न है. इनके अनुसार बुद्धि एक इकाई है और सम्पूर्ण बुद्धि एक समय में सक्रीय हो कर एक ही प्रकार का कार्य करती है .
  • 2. द्विखंड सिद्धांत - इस सिद्धांत के समर्थक स्पीयरमेन है . इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि के दो तत्व होते है - (अ) सामान्य तत्व या योग्यता (ब) विशेष तत्व या योग्यता ,
  • 3 .त्रिखंड सिद्धांत - इस सिद्धांत से स्पीयरमेन ने बुद्धि के 'G ' और S तत्वों के साथ एक सामूहिक खंड और जोड़ दिया , इसके अनुसार बुद्धि परीक्षा में तिन तत्वंशो की आवश्यकता होती है - सामान्य बुद्धि , विशिष्ट बुद्धि और भाषा का स्थानात्मक ज्ञान की , यह सिद्धांत विवादस्पद है .
  • 4 . बहुतत्व सिद्धांत - इस सिद्धांत के प्रवर्तक थार्नडायिक है . इनके अनुसार बुद्धि कई प्रकार की शक्तियों में किसी भी प्रकार की समानता आवशक नहीं है. थार्नडायिक बुद्धि के समान तत्व को नहीं स्वीकारते उनके अनुसार सभी मनुष्यों की बुद्धि विशेष होती है . थार्नडायिक ने बुद्धि को तिन भागों में बाटां है -
  1. सामाजिक बुद्धि
  1. स्थूल बुद्धि
  1. अमूर्त बुद्धि
  • 5. सम्मिलित बुद्धि : इसके प्रतिपादक गिल्फोर्ट है . इनके अनुसार बुद्धि का एक संरचना प्रतिमान होता है. संरचना प्रतिमान के तिन प्रमुख आयाम है जिसके अंतर्गत विभिन्न योग्यताएं आती है . जैसे - संचालन , उत्पादन एवं विषय वास्तु .
  • 6 . समूह तत्व सिद्धांत - इसके प्रतिपादक थर्स्तन है . इनके अनुसार बुद्धि की संरचना मूल कारकों के समूह से होती है . दो-तिन मूल करक मिलकर एक समूह का निर्माण कर लेते है जो किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति की बुद्धि के सूचक है . ये मूल करक है - शाब्दिक योग्यता, आंकिक योग्यता, देशिक योग्यता, शब्द प्रवाह , तर्क शक्ति एवं स्मृति.
  • बुद्धि मापन - 1905 में बिने ने सर्वप्रथम बुद्धि मापन का मापदंड बनाया और उनके द्वारा मानसिक आयु शब्द का प्रयोग किया गया. कुछ वर्षो के बाद टर्मन ने बुद्धि लब्धि के सूत्र का प्रवर्तन किया .
  • बुद्धि लब्धि - टर्म न ने बुद्धि के मापन के लिए I. Q. विधि बताई थी . मानसिक आयु में वास्तविक आयु का भाग देने पर प्राप्त संख्या में 100 से गुना करने पर जो मान प्राप्त होता है , वह I. Q. कहलाती है . बुद्धि लब्धि को सूत्र के रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जाता है -
बुद्धि लब्धि विवरण
  • 140 और अधिक - प्रतिभावान Genius
  • 130-139 - अति उत्तम Very superior
  • 120-129 - उत्तम Superior
  • 110-109 - अच्छे Bright
  • 100-109 - औसत उच्च High normal
  • 90-99 - औसत निम्न Low normal
  • 80-89 - मंद बुद्धि Dull
  • 70-79 - हिन् Inferior
  • 60 और कम - जड़ Feebleminded
महत्वपूर्ण तथ्य -
  • 14 वर्ष की आयु तक मापित I. Q में आयु के साथ साथ विकास होता है . इसके बाद यह विकास कम होने लगता है .
  • ए. आर. जैन्सन के अनुसार I. Q में 80% योगदान वंशानुक्रम का होता है.
  • गैरेट के अनुसार बुद्धि के तिन रूप है - मूर्त बुद्धि , अमूर्त बुद्धि और सामाजिक बुद्धि .
  • tarman ने सर्वप्रथम 1916 में फलंकन scoring की विधि बनायीं जो की है - I.Q. = Mental Age / Chronological Age X 100
  • थार्न डायिक बुद्धि की प्रकृति के विषय में बहुशक्ति सिधांत मानता है .
  • व्यक्ति की बुद्धिमता बुद्धि के सामान्य बुद्धि के प्रकार पर निर्भर है .

बुद्धि लब्धि = मानसिक आयु / वास्तविक आयु X 100 

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