बच्चो में पढ़ाई, लेखन, सुनना, याद रखना आदि विकार

by ALOK VERMA

1 :- डिसग्राफिया यानि लेखन विकार 

                                                         By ALOK VERMA 

सिग्राफिया क्या है ?

डिसग्राफिया सुसंगत किया सुसगत रूप से न लिख पाने की एक अक्षमता है और ये एक बीमारी की पहचान के रूप में चिह्नित है । डिसग्राफिया एक खास की सीखने की अक्षमता है जो लेखन के कौशल पर असर डालती इसमें स्पेलिंग , हस्तलेखन और काम्प्रीहेन्शन यानि अवधारणात्मक शब्दों , वाक्यों और पैराग्राफों को संयोजित करना ) जैसे कौशल बाधित होते हैं । लेखन का सम्बन्ध भाषा को समझने और इस्तेमाल करने के कौशल से जुड़ा है । जिन बच्चों में डिसग्राफिया पाया जाता है उनकी लेखन प्रक्रिया कठिन और धीमी होती है । डिस्लेक्सिया और डिसकैलकुलिया जैसी सीखने की अन्य अक्षमताओं की तुलना में , डिसग्राफिया के बारे में कम मालनात हैं और इसका कम ही पता चल पाता है । अन्य लक्षण इस पर हावी हो सकते हैं । इसके अलावा इस समस्या की पहचानने के लिए कोई तयशुदा परीक्षण भी उपलब्ध नहीं है

डिसग्राफिया नहीं है

समझना महत्त्वपूर्ण है कि धीमी और खराब राइटिंग , डिसग्राफिया का संकेत नहीं है । ये भी संभव हो सकता है कि बच्चे को सुनने में समस्या हो और वो कही हुई बात को न सुन पाता हो और जैसा सुनता हो वैसा ही लिखने की कोशिश करता हो । सुनने की समस्या का पता लगाने के लिए ऑडियोमिट्री टेस्ट कराया जा सकता है ।

संकेत

डिसग्राफिया के संकेत हर बच्चे में अलग अलग हो सकते हैं और इसकी गंभीरता भी हर अवस्था में अलग अलग हो सकती है ।

पूर्व प्राथमिक या प्री -

स्कूल पेंसिल को सहजता से पकड़ना । बच्चा पेंसिल को जोर से पकड़े रहता है या अटपटे ढंग से पकड़ता है । / अक्षरों और संख्याओं के आकार बनाना । अक्षरों और शब्दों के बीच एक सुसंगत या सिलसिलेवार स्पेस बनाए रखना । बड़े यानि अपरकेस ( कैपीटल लैटर्स ) और छोटे यानि लोअरकेस ( स्मॉल लेटर्स ) अक्षरों की समझ होना । एक रेखा या हाशियों के बीच में लिखना या चित्र बनाना । लंबी अवधि तक लिखना ।

प्राइमरी और मिडिल स्कूल

स्पष्ट रूप से यानि साफ - साफ लिखना ।

; प्रवाहपूर्ण लेखन और छपाई वाले शब्दों की तरह लिखना ।

लिखते समय शब्दों को जोर - जोर से बोलना ।

लिखने के काम में अत्यधिक तनाव की वजह से जो लिखा गया है , उसे समझना । नोट्स लेना ।

लिखते समय नये शब्द या समानार्थी शब्दों के बारे में सोचना ।

पूरे वाक्य बनाना कुछ शब्द छोड़े जा सकते हैं या अधूरे रह सकते हैं ।

किशोर और युवा

लिखित संचार में विचारों को संगठित करना ।

पूर्व लिखित विचारों को फिर से देखना । व्याकरण के लिहाज से सही और सुव्यवस्थित वाक्य बनाना ।

कारण

शोधकर्ताओं को डिसग्राफिया की मटीक वजह का पता नहीं चल पाया है लेकिन उन्होंने पाया है कि सूचना को सही ढंग से प्रोरोस न कर पाने या सूचना को सटीक संदेश में न बदल पाने की मस्तिष्क की अक्षमता की वजह से ऐसा हो सकता है

पहचान :-

पहचान अभिभावक और शिक्षक , प्रो स्कूल में ही बच्चे में डिसग्राफिया के लक्षण देख सकते हैं । लेकिन अधिकांश मौकों पर ये चिह्न नजर नहीं आते हैं । जितना जल्दी स्थिति का पता चल जाए और उसका समाधान ढूँढ लिया जाए उतना ही आसान बच्चे के लिए इस कठिनाई से निजात पाना रहता है ।

विशेषज्ञ कुछ खास आकलन करते हैं और राइटिंग के टेस्ट लेते हैं । इससे मस्तिष्क की संदेश भेजने की क्षमता का पता चलता है ।

उपचार

डिसग्राफिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है । हालांकि , ऐसे वैकल्पिक तरीके भी हैं जो बच्चे को उसकी लेखन क्षमता सुधारने में मदद कर सकते हैं । आप विशेष शिक्षा विशेषज्ञों की मदद लेकर सीखने के अलग - अलग तरीकों को प्रयुक्त कर देख सकते हैं और ये पता कर सकते हैं कि आपके बच्चे के लिए कौन सा तरीका बेहतर है ।

देखरेख

अभिभावक और विशेषज्ञ एक साथ काम कर सकते है और निम्न में से कुछ वैकल्पिक तरीके इस्तेमाल कर सकते हैं • अलग - अलग पेंसिल और पेन का इस्तेमाल करके देखें और जो सबसे सुविधाजनक और सहज हो , उससे काम करें ।

साफ लाइनों वाले पेज पर लिखें और अक्षर बनाने के लिए पर्याप्त जगह लें और लाइनों के बीचोबीच लिखें । ग्राफिक्स , चित्रों और स्वरविज्ञान का सहारा लेकर बच्चे लिखने के लिए अक्षरों और शब्दों को पहचान सकते हैं । लिखने की योग्यता में सधार के लिए सहायक तकनीकी और आवाज वाले सॉफ्टवेयरों ( शब्द संयोजन के उपकरण और ऑडियो टूल ) का इस्तेमाल । एसाइनमेंट पूरा करने या टेस्ट के लिए शिक्षक अतिरिक्त समय दें । पाठों को रिकॉर्ड करने के लिए टोपरिकॉर्डर का इस्तेमाल करें और धीरे - धीरे सुनकर लिखें ।

डिसकैलकुलिया यानि गणना करने में असक्षमता

2 :- डिसकैलकुलिया

 ( गणित की समस्या ) क्या है ?

डिसकैलकुलिया सीमा से जुड़ी एक विशिष्ट विकलांगता है जिसमें बच्चा अकों के बारे में बुनियादी बातें याद नहीं रख पाता है और गणित के सवालों को बहुत देर से सम्झता है या गलत करता है । ये लक्षण हर बच्चे में अलग - अलग हो सकते हैं । कुछ बच्चों को गणित की वर्ड प्रॉब्लम करने में मुश्किल आती है तो कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें हल तक पहुँचने के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया सम्झने में मुश्किल होती है और कुछ ऐसे भी होते हैं जो खास तरह की गणितीय अवधारणाओं को समझ ही नहीं पाते है ।

क्या नहीं है ?

आमतौर पर देखें तो ज्यादातर बच्चों के लिए गणित एक मुश्किल विषय हो सकता है और कुछ बच्चे धीरे - धीरे ही सीख पाते हैं , उन्हें लगातार दोहराना और अभ्यास करना होता है , वे अवधारणाओं को याद कर लेते । हैं ।

कछ बच्चों को गणित चुनौतीपूर्ण लग सकती है और इसलिए नर्वस हो सकते हया तनाव में आ सकते है , इसका असर उनकी परीक्षा में किए गए प्रदर्शन पर पड़ता है ।

ये डिसकैलकुलिया के चिह्न नहीं है ।

चिह्न

हर बच्चे की सीखने की रफ्तार अलग होती है । औसत बच्चे को गणितीय अवधारणाओं को समझने के लिए समय और नियमित अभ्यास की जरूरत होती है । लेकिन अगर सीखने में कोई एक खास या चिह्नित करने लायक अंतराल या देरी आने लगती है और आप ये नोट करते हैं कि अतिरिक्त कोचिंग और ट्रेनिंग के बावजूद बच्चे को समस्या आ रही है तो हो सकता है कि बच्चे को डिसकैलकुलिया हो ।

हर अवस्था और हर बच्चे में लक्षण अलग - अलग होते हैं ।

प्री - स्कूल या प्लेग्रुप या नर्सरी

गिनती सीखना ।

छपे हुए अंकों को पहचानना ।

वास्तविक जीवन की चीजों से अंकों का संबंध जोडं पाना ( मिसाल के लिए 3 घोड़े , 5 पेंसिलें आदि ) ।

न्यूमेरिकल को याद करना ।

चिन्हों, पैटर्न , आकार को पहचानना और चीजो को व्यवस्थित के गेंदें एक जगह चौकोर चीजें अलग जगह आदि ) ।

प्राइमरी और मिडिल स्कूल

अंकों और चिह्नों को पहचानना ।

गणित के सवाल सीखना - जोड़ , घटाव , गुणा , भाग ।

गणित में वर्ड प्रॉब्लम हल करना ।

चीजों की माप करना । मैंटल गणित मैथ ) करना ।

फोन नंबर याद रखना ।

उन खेलों में शामिल होना जिननें अंक होते हैं या जिनमें योजना यावं की जरूरत होती है ।

किशोर और युवा

कीमतो की गणना करना , मूल्य आकना ।

बेसिक गणित से आगे सीखना ।

जमा खाते को समझना , उसका प्रबंध करना ।

बीजो को नाप करना ।

समय , स्थान और दूरी की अवधारणाओं को समझना । ।

3 :- मैंटल गणित करना यानि दिमाग में गणनाएँ करने में सक्षम हेना ।

एक ही सवाल को अलग - अलग तरीकों से हल करने के तरीके खोजन उन गतिविधियों में भागीदारी करना जिनमें गति और दरी का अ किया जाता है । जैसे - खेल और ड्राइविंग सीखना । बच्चे में भरोसे हो सकती है और वह इन गतिविधियों से परहेज कर सकता है ।

कारण -

शोधकर्ताओं को अभी डिसकैलकलिया की सटीक वजह काप चला है । फिर भी मानते है कि जीन्स और आनलशिकी जस विकार वजह हो सकती है ।

पहचान।

डिसकैलकुलिया का कोई विशेष टेस्ट नहीं है । बाल रोग या मनोवैज्ञानिक इस स्थिति का पता करने के लिए कुछ निश्चित आकलन या टेस्ट कर सकते हैं ।

उपचार -

इसका कोई एक अकेला टेस्ट नहीं है । स्थिति का पता लगाने के लिए कई आकलन और कई तरह के टेस्ट किए जा सकते है ।

मेडिकल हिस्टी -

सीखने की अन्य समस्याओं या एडीएचडी के साथ डिसकैलकुलिया भी हो सकता है । इसलिए विशेषज्ञ , विकार की पहचान करने या उसका इलाज करने से पहले बच्चे के चिकित्सा इतिहास की जाँच करते हैं ।

पहचान -

विशेष शिक्षा से जुड़ा विशेषज्ञ विकार की जाँच के लिए कुछ विशिष्ट टेस्ट करता है । बच्चे की पढ़ाई - लिखाई का प्रदर्शन भी ध्यान में रखा जाता है । सीखने के वैकल्पिक तरीके और तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं जिनसे बच्चा उस स्थिति से निपटने में सक्षम हो सके ।

स्कूल में सहायता -

अभिभावकों को अपने बच्चे की समस्या के बारे में शिक्षकों को बताना चाहिए और मदद लेनी चाहिए । शिक्षक गणित पढ़ाने के लिए कोई वैयक्तिक योजना तैयार कर सकते हैं । बच्चे को अतिरिक्त सहायता दी जा सकती है । मिसाल के लिए उसे टेस्ट में अतिरिक्त समय दिया जाए , या कैलकलेटर इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। शिक्षक बच्चे की तरक्की का रिकॉर्ड सकते है और यदि उनका पिछला तरीका कारगर नहीं रहता तो सिखाने के तरीके में बदलाव भी कर सकते हैं ।

हस्तक्षेप पर प्रतिक्रिया -

कुछ स्कूल जन बच्चों को इस प्रयोग को चलाते हैं जिसकी सीखने की रफ्तार कम है । छोटे ग्रुप को अतिरित्ता कोचिंग दी जाती कभी - कभी अकेले बच्चे को भी ये जरूरत पर निर्भर करता है ।

मनोवैज्ञानिक या काउंसलर -

किसी भी तरह की सीखने की असमता बने के आत्मसम्मान और भरोसे पर असर डाल सकती है जिसका नतीजा तनाव और खराहट भी हो सकता है । एक ननावेज्ञानिक या कारसलर बच्चे को इस स्थिति से निपटने में मददगार हो सकता है ।

देखभाल -

अभिभावक के तौर पर , आपका प्रेम और आपकी सहायता बच्चे को इस समस्या से निजात पाने के लिए अनिवार्य है ।

ये भी जरूरी है कि हर बच्चा अपने आप में विशिष्ट है और उसकी अपनी क्षमताएँ और प्रतिभाएँ हैं । आपको उसके लिए सीखने के कई सारे तरीधे हुँइने पड़ सकते है , उन्हें अमल में लना पड़ सकता है । इनसे बच्चा अनं गणितीय बामता में सुधार कर सकता है ।

आप अपने बच्चे की मदद निग्न तरीकों से भी कर सकते हैं

4 :- डिसकैलकुलिया को समझकर -

आप डिसकैलकुलिया के बारे में पढ़े और जाने । सुधार की दिशा में जागरूकता और सना पहला कदम है । बच्चे के प्रति अपने प्यार और समर्थन और सहायता का इजहार करें । उसे महसूस हो कि आप उससे प्यार करते हैं और उसके साथ हैं । अपने बच्चे से बात कर और उन्हें ये समझाने का अवसर दें कि आप उनकी मुश्किल को समझ रहे है ।

गणित के खेल खेलें -

घरेलू चीजों जैसे खिलौने , बर्तन , थाली चम्मच , सब्जी वाफल का इस्तेमाल कर अंकों को रोजाना की गतिविधि से जोड़े । अपने बच्चे को कैलकुलेटर इस्तेमाल करने बैं । अलग - अलग तरीके इस्तेमाल करें और देखें कि आपके बच्चे को किस तरीको से सीखने में राविण है । गणित की जरूरत रोजाना के कामों में पड़ती है , इसलिए उसे पैसे और समय का महत्व याददाश्त हिसाब - किताब और प्रबंधन सिखाएँ ।

प्रोत्साहन और सहायता

अपने बच्चे की सामर्थ्य को पहचानें और जिस किसा म उसकी दिलचस्पी है उसमें उसको प्रोत्साहित करें । इससे स्थानिक लसम्मान बढ़ेगा और उसमें भरोसा मी पैदा होगा । प्रशंसा और इस बच्चे को अपनापन और सुरक्षा महसूस होती है ।

5:-  डिसप्रेक्सिया

डिसप्रेक्सिया क्या होता है ?

डिसप्रेक्सिया एक विकास संबंधी समन्वय में कमी से जुड़ा विकार है जो दिमागी संदेशों के समन्वय को प्रभावित करता है । डिस्प्रेक्सिया से पीड़ित बर्च सूक्ष्न मोटर गतिविधियों के प्रबंधन में कठिनाई महसूस करते हैं जैसे दाँतों को ब्रश करने में , जूते के फीते बाँधने में , चीजों को पकड़े रहने में , चीजों को इधर से उधर रखने या उन्हें व्यवस्थित करने में या ठीक से उठने - बैठने या चलने - फिरने में । डिसप्रेक्सिया आमतौर पर मस्तिष्क से जुड़े अन्य विकारों के साथ ही मौजूद पाया जाता है ; जैसे - डिसलेक्सिया , डिसकैलकुलिया या एटेंशन डेफेसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर ( ए . डी . एच . डी . ) ।

डिसप्रेक्सिया के चिह्न

डिसप्रेक्सिया से पीड़ित बच्चों को निम्न मामलों में समस्या आ सकती है ।

स्थूल मोटर योग्यताएँ

चीजों को गिराए बिना थामे रहना । '

खेलते समय या व्यायाम करते समय शारीरिक समन्वय यानि शरीर के अंगों में तालमेल बनाए रखना ।

वॉकिंग , स्किपिंग , गेंद फेंकना या कैच करना या बाइक पर बैठना । चीजों से टकराए बिना इधर से उधर चल पाना , चलते हुए , चीजों को न गिराना ।

ऐसे खेलों और गतिविधियों में भाग लेना जिनमें हाथ और आँख के कुशल तालमेल की जरूरत पड़ती है ।

सूक्ष्म मोटर योग्यताएँ

बटन लगाना . पेंसिल पकड़ना , कैंची चला पाना ।

छोटी चीजों पर काम करना , जैसे - लॉक बनाना , पहेलियाँ हल करना ।

स्पीच / बोलने की क्षमता

आवाज में उतार - चढ़ाव ला पाना ( चॉल्यूम , स्पीडस . टोन , पिच ) ।

साफ - साफ बोलना और बहुत धीरे नहीं बोलना ।

सामाजिक - भावनात्मक

काम कर पाने , खेलने या संचार में सक्षम हो पाने को लेकर खुद पर पक्का भरोसा होना । टाम वाले खेलों में शामिल होना । .

बच्चो और वयस्कों से मिलना - जुलना ।

याददाश्त और ध्यान -

स्कूल या घर में किए जाने वाले कामों के सिलसिले या क्रम को याद रखना और उन्हें पूरा कर पाना ( स्कूल का बस्ता लगाना . होमवर्क पूरा करना , लंचबॉक्स रखना आदि ।

स्थानिक संबंध -

चीजों को एक जगह से दूसरी जगह बिल्कुल सही जगह रखना या यहाँ से वहाँ ले जाना ।

कारण -

डिसप्रेक्सिया के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है लेकिन ये पाया गया है कि ये विकार उन तंत्रिकाओं की गड़बड़ी की वजह से हो सकता है , जो समन्वय के लिए मस्तिष्क से पेशियों तक संकेत भेजती हैं ।

पहचान -

डिसप्रेक्सिया की पहचान का कोई एक अकेला टेस्ट उपलब्ध नहीं है । कोई विशेषज्ञ या थेरेपिस्ट निम्न मापदंडों के आधार पर विकार का आकलन कर सकता है /

मोटर योग्यताओं का अवरुद्ध या धीमा विकास

दिमागी लकवे जैसी अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों की वजह से मोटर योग्यताएँ कमजोर नहीं होती हैं ।

उपचार -

अभिभावक किसी विशेषज्ञ या थेरेपिस्ट से मिल सकते हैं । किसी स्पीच थेरेपिस्ट , विशेष शिक्षा विशेषज्ञ या बाल मनोचिकित्सक से भी समस्या को समझने के लिए मिला जा सकता है और जरूरी मदद हासिल की जा सकती है ।

देखरेख -

डिस्प्रेक्सिया वाले बच्चे को अपने विचार , भावनाएँ , या समस्याओं को अभिव्यक्त करने यानि बता पाने में मुश्किल आ सकती है । लेकिन देखरेख करने वाले व्यक्ति के रूप में आप बच्चे को बोलने और अपनी समस्या बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं । आप अपने बच्चे को हल्की फुल्की शारीरिक गतिविधियाँ करते रहने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं । इन गतिविधियों से समन्वय और तालमेल में मदद मिलती है और इस तरह बच्चे के भीतर विश्वास बढ़ाया जा सकता है ।



6 :- डिस्लेक्सिया - बच्चों में बढ़ता प्रकोप

लक्षण , कारण और इलाज

डिस्लेक्सिया बच्चों में होने वाली एक बीमारी है ।

डिस्लेक्सिया का बन्ने की बौद्धिक क्षमता से कोई लेना देना नहीं है ।

बचल आँख वाल - और सबका मन मोह लेने वाला गौरख आमतौर पर दिखने में दूसरे बच्चे को ही तरह का लेकिन स्कूल में हर संभव प्रयास के बाद भीजन उसका प्रदर्शन उगीद से माफी कम रहा तो उसके स्कूल की टोचर ने उसके माँ - बाप को उसे बाल - रोग विशेषज्ञ से जांच कराने की सलाह दी ।

शायद उसके माँ बाप के मोहरा बातला अंबाजाशयोकि स्कूल का होमवर्क कराने में उनकफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था ।

बाल - रोग विशेषज्ञ ने कई तर ते गैरव का परीक्षण किया ।

इसमें 1 . 0 . Test भी शामिल था ।

सबके उपेक्षा के रीत गौर का आईला लेवल ।

आमा जो की सामान्य 190 - 1100 से अहुत बेहतर है - यूँ करे की बहुत ज्यादा है । •

इतने तेज और इतने प्रखर बुद्धिनाले गौरतला फिर पढ़ाई में इतना खराब प्रदर्शन - जाखिर क्यों ? ऐसा इसलिए क्योंकि गौरव जिस्लेक्सिया नानक एक डिसऑर्डर ( learning - disorder ) से पीड़ित है ।

डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को अप ० साल की उम्र में भी अक्षरों को जस्ता पल्ट लिख गाएगे ।

मौसक रूप से भले ही वे हर रुमाल क जाय वे सके लेकिन लिखने में उन्हें पत परेशानी क सानना करना पड़ता है ।

लिलप्स्य एसोसिशन ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में 15 से 20 डिस्लेक्सिया प्रतिशत बच्चे सिलेक्तिगकी गगरया र पीड़ित हैं ।

यानि कीर नाच में से एक हमें आगणे डिस्लेलिस्याले कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं ।

डिस्लेक्सिया की स्थिति बब्वे की विभाग की डोलने लिखने की क्षगता को पमानित करती है ।

ये बच्चे एक जैसे सुनने वाले या विजने वाले अक्षरी में मेट करने में परेशानी महसूस करता है उदाहरण के लिए और 9 में या 21 और 12 में ।

कई विशेषज्ञ इसे एक आनवशिकी 1 . भारी भी मानते पी करने में सही डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चे गणित में , ब्लैकबोर्ड से कॉपी करने में सही उच्चारण कर सकने में दिक्कत महसूस करते है ।

रग , अकार और संस्था जैसी मल चोर्जे समझने में परेशानी नहसूस करते है इनकी हेडराइटिंग नवराब होती है . कई बार शब्बों में अक्षरों का क्रम सही नहीं होता है , ध्वनि में अंतर नहीं कर पाते हैं । दिशाओं से सम्बंधित भ्रम जैसे की दाईं को बाये समझना और बाए को दांये समझना 

लेकिन इसका इनके बैद्धिक क्षमता से कोई लेना - देना नहीं । उम्र के साथ दिक्को समाप्त हो जाएंगी ।

लेकिन इस समय उन्हें आपके सहारे की आवश्यकता है । उनके हौसले को बुलन्द कीजिये , ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे । धीरे - धीरे ही पायें जितना की उनकी क्षमता अभी ग्रहण करने की है ।

अल्बर्ट आइंस्टीन को तो आप जानती है होगी । बचपन मे वे भी डिसलेक्सिया से पीडित बच्चे थे । तब कौन कह सकता था की ये बड़े होकर विश्व वैज्ञानिक वैज्ञानिक बनेगे । आगे चल कर उन्होंने अपने जीवन में जिस प्रकार प्रदर्शन दिया , उसे पूरी दुनिया जानती है ।

बच्चा जन छटा रहता है तो उससे पढ़ाई करने में तरह - तरह की परेशानिया नजर आती है और यह उनको दूर करने में सक्षम नहीं होता है । माता - पिता और उसके शिक्षक तरह - तरह से उसको समझाने का प्रयत करते है और प्यार और लेह से वे इस दिक्कत को दूर करने की कोशिश करते है जिससे ये बीमारी दूर हो जाती है । एक शिक्षक और उसके माता - पिता पाने की समस्या को समझते हुए उससे प्रशंसा द्वारा उनके दिमागी हालत को ठीक कर सकते हैं ।

डिस्लेक्सिया क्या है ?

जस्लेक्सिया कोई मारी नहीं है और न ही ये कोई मानसिक अयोग्यता है

डिसलेक्सिया पढ़ने - लिखने से सम्बन्धी एक विकार है जिसने बच्चो को शब्दों को पहचानने , पढ़ने याद करने और बोलने में परेशानी आती है ।

वे कुछ अक्षर और शव्दों को उल्टा पढ़ते है और कुछ अक्षरों का उच्चारण भी नहीं कर पाते । .

डिस्लेक्सिया को कंट्रोल किया जा सकता है . इसके लिए बच्ची पर - कोई मानसिक बीमारी नहीं है ।

डिस्लेक्सिया के लक्षण

1 नए शब्दों को धीमे सोखना । .

2 नर्सरी की पिता को पचने में कठिनाई ।

3 कविताओं वाले खेल खेलने में कठिनाई ।

4 सभायें प्रबंधन करने में कविता ।

5 ऊंची आवाज में पढ़ने में कठिनाई ।

6 याद रखने में समस्या ।

7 कहानी को संक्षिप्त करने में कठिनाई ।

8 उम्र के हिसाब से अपेक्षित स्तर से कम पढ़ पाना ।

9 . तेजी से दिए गए निर्देशों को समझने में कठिनाई ।

डिस्लेक्सिया में क्या करें ?

डिस्लेक्सिया ( Dyslexia ) से प्रभावित बच्चों को पढ़ाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है । इसका समाधान ये नहीं है कि आप बच्चों को पढ़ाई में ज्यादा मेहनत करने के लिए जोर दें । इसके बदले आप को अपने बच्चे को पढ़ने के तरीकों में बदलाव लाने की जरूरत पड़ेगी ।

आपका बच्चा सामान्य बच्चों से भिन्न है । आपको उसकी गलतियों को नजरंदाज करना होगा ताकि आपके बच्चे का मनोबल बना रहे और वह अपने आप में विश्वास न खोये ।

अगर आपका बच्चा पढ़ी हुई चीजें भूल जाये तो आप उसको hint दें । फिर भी उसे याद न आये तो आप उसे उत्तर बता दें , लेकिन बिना दूसरे बच्चों से तुलना किये और बिना डांटे ।

आपके बच्चे के लिए भूल जाना बहुत स्वाभाविक है । इसमें उसकी कोई गलती नहीं है ।

बच्चे से ज्यादा मेहनत कराने से उसमें शायद ही कोई सुधार हो । लेकिन इससे आप का बच्चा हताश हो जायेगा और पढ़ाई से दूर भागने लगेगा । इससे नुकसान ज्यादा और फायदा कम होगा ।

पढ़ाते वक्त ये काम कभी न करें ।

कभी - कभी पढ़ाते वक्त अनजाने में माँ - बाप ऐसे काम कर जाते हैं जिनकी वजह से बच्चों की डिस्लेक्सिया ( Dyslexia ) की समस्या और बढ़ जाती है । पढ़ाते वक्त बच्चों के साथ नीचे दिए काम कभी न करें ।

डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को इस तरह बनायें पढाई में अव्वल

1 घर के माहौल को बच्चे की पढ़ाई के लिए अनुकूल बनायें ।

2 बच्चों के साथ हर दिन समय बिताएँ । उनसे ढेर सारी बातें करें । बच्चों - के प्रारम्भिक जीवन में उनसे बातें करने से उनकी बुद्धि का प्रखर विकास होता है ।।

3 पढ़ाई के लिए एक निश्चित दिनचर्या का निर्धारण करें । डिस्लेक्सिया ( Dyslexia ) से पीड़ित बच्चे पढ़ाई से भागने की कोशिश करते हैं । क्योंकि दूसरे बच्चों की तुलना में पढ़ाई उन्हें सहजता से नहीं आती है । निश्चित दिनचर्या का निर्धारण करने से आप को हर दिन बच्चों को पढ़ाई के लिए बाध्य नहीं करना पड़ेगा । एक निर्धारित दिनचर्या के कारण वे निश्चित समय पर ( बिना कुदकुढ़ाये ) खुद पढ़ने बैठ जायेंगे ।

4 . बच्चों की मेमोरी को बूस्ट करने के उपाये करें ।

5 . घर को इस तरह व्यस्थित करें ताकि बच्चे में पढ़ाई को लेकर रुचि बढ़े ।

6 . डिस्लेक्सिया ( Dyslexia ) से पीड़ित बच्चों का पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से मनोबल कम रहता है । आप अपनी तरफ से वे तरीके अपनायें जिनसे पढ़ाई में बच्चों का मन लगे और उनका आत्मविश्वास बदे । ।

डिस्लेक्सिया के कारण

आनुवंशिक कारक - कई लोगों में डिस्लेक्सिया जन्म से ही होता है । ऐसा DCDC2 जीन्स में डिफेक्ट होने के कारण भी होता है जो रीडिंग परफॉरमेंस से जुड़ा हुआ है ।

अन्य कारक कुछ लोगों को पैदा होने के बाद डिस्लेक्सिया होता है । इस डिस्लेक्सिया का सबसे आम कारण मस्तिष्क की चोट , स्ट्रोक या कुछ अन्य प्रकार के आघात होते हैं ।

जोखिम कारक - डिस्लेक्सिया का पारिवारिक इतिहास भी हो सकता है जहाँ मस्तिष्क के उन हिस्सों में समस्याएँ जो पढ़ने में सक्षम होते हैं ।

डिस्लेक्सिया के प्रकार

1 - प्राथमिक डिस्लेक्सिया - आम तौर पर अक्षर और संख्या पहचान करना , पढ़ना , अंक गणित और अन्य वे गतिविधियाँ जो मस्तिक के बायें हिस्से से सचारित होती हैं , उनमें ये समस्याएँ आती हैं ।

2 - दुनिया भर के स्कूलों में सामान्य शिक्षक विधियों में मुख्यतः बायीं तरफ के मस्तिष्क का उपयोग होता है । जिसमें डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चों को पढ़ाई में समस्या आती है ।

3 - यह डेवलपमेंटल डिस्लेक्सिया जो भ्रूण में मस्तिष्क के विकास में समस्याओं की वजह से होता है , जिसमें शब्दों की पहचान और उनकी वर्तनी की समस्याएँ आती हैं ।

4 - हाल की इस स्थिति की कठिनाइयाँ उम्र के साथ सुधर जाती हैं ।

5 - बच्चा बचपन में डिस्लेक्सिस लक्षण का अनुभव कर सकता है परन्तु उचित मार्गदर्शन हो तो कॉलेज में प्रदर्शन में सुधार आ सकता है ।

6 - ऐसे बच्चे आम तौर पर ध्वनि विज्ञान में अच्छे होते हैं ।

ट्रामा डिस्लेक्सिया

यह एक गंभीर बीमारी है ये मस्तिष्क की चोट के कारण होता है ।

इसके लक्षण छोटे बच्चों में निरंतर फ्लू , सर्दी या कान के संक्रमण से सुनने की क्षमता के नुकसान के कारण विकसित हो सकते हैं ।

इसमें बच्चे शब्दों की ध्वनि नहीं सुन पाते हैं इसलिए उन्हें शब्द बोलने , वर्तनी पढ़ने और लिखने में कठिनाई होती है ।

बड़े बच्चों या वयस्कों में मस्तिष्क की बीमारी की वजह से ट्रामा ४ डिस्लेक्सिया विकसित होता है , जो भाषा को समझने की क्षमता को प्रभावित करता है ।

ये लोग आम तौर पर आघात से पहले पढ़ने - लिखने और शब्दों की वर्तनी करने में ठीक होते हैं ।

डिस्लेक्सिया होने से रोका जा सकता है

डिस्लेक्सिया रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता , खासकर अगर ये आनुवंशिक हैं ।

यद्यपि प्रारंभिक चरण में निदान और उपचार शुरू कर दिए जाएँ तो इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं ।

डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चों को जितनी जल्दी विशेष शिक्षक सेवाएँ मिलती हैं , उतनी ही जल्दी वह पढ़ना - लिखना सीखते हैं ।




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