बाल विकस का अर्थ

by Alok Verma

     बाल विकास का अर्थ ( Meaning of Child Development ) ' By आलोक वर्मा

बाल विकास से तात्पर्य बालकों के सर्वांगीण विकास से है । बाल विकास का अध्ययन करने के लिये ' विकासात्मक मनोविज्ञान की एक अलग वा बनाई गयी जो बालकों के व्यवहारों का अध्ययन गर्भावस्था से लेकर प्रत्यपर्यन्त तक करती है । परन्तु वर्तमान समय में इसे बाल विकास ' ( Child hevelopment ) में परिवर्तित कर दिया गया क्योंकि बाल मनोविज्ञान में केवल बालकों के व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है जबकि बाल विकास के अन्तर्गत उन सभी तथ्यों का अध्ययन किया जाता है जो बालकों के व्यवहारों को एक निश्चित दिशा प्रदान कर विकास में सहायता प्रदान करते हैं । 


' हरलॉक ' ( Hurlock )

ने इस सम्बन्ध में कहा है कि ' बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास इसलिये बदला गया क्योंकि अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है , किसी एक पक्ष पर नहीं बाल विकास के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अपने अलग - अलग मत दिये हैं


क्रो एण्ड क्रो के अनुसार -

 ' बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपर्यन्त तक करता है ।

डार्विन के अनुसार -

बाल विकास व्यवहारों का वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपर्यन्त तक करता है । 

हरलॉक के अनुसार -

बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त तक होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है । इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि बाल विकास बाल मनोविज्ञान की ही एक शाखा है जो
( 1 ) बालकों के विकास , ( 2 ) व्यवहार , ( 3 ) विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों का अध्ययन करती है ।

बाल मनोविज्ञान तथा बाल विकास में थोड़ा - सा ही अन्तर है । बाल मनोविज्ञान बालक की क्षमताओं का अध्ययन करता है जबकि बाल विकास कामताओं के विकास की दशा ' का अध्ययन करता है । बाल मनोविज्ञान का स्य बाल मन तथा बाल स्वभाव को समझना होता है जैसे - बालक के मातर कौन - सी क्षमतायें विद्यमान हैं , उसके व्यवहार प्रौदों के व्यवहार से किस शार भिन्न है , बालक की स्मरण शक्ति का विस्तार कितना है , वह किन यातयों से प्रेरणा ग्रहण करता है , उसकी कल्पनायें क्या है ? आदि बातों समझाना बाल मनोविज्ञान का उद्देश्य होता है । इसके विपरीत बाल बालकों का अध्ययन इस दृष्टि से करता है कि उनका भूत और पतमान से जुड़ा रहे और के स्वस्थ प्रौद जीवन व्यतीत कर सकें ।

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