बाल विकास के सिद्धांत

by ALOK VERMA

         बाल विकास के सिद्धांत

मानव का विकास, उनमें होने वाले मानसिक और शारीरिक परिवर्तनों की एक श्रृंखला है जो भ्रूणावस्था से प्रारंभ होकर वृद्धावस्था तक चलता है. यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है तथा जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है. विकास एक निश्चित दिशा में होता है यह विकास सामान्य से विशिष्ट की और होता है. ये विकास व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशिष्टताएं लाती है. ये सारे विकास एक निश्चित नियम के अनुपालन में होता है. इन्हें ही बाल विकास का सिद्धांत कहा गया है. बाल विकास के कुछ बाल विकास के कुछ सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

  1. निरंतरता का सिद्धांत : विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो गर्भधारण से म्रत्यु पर्यंत चलता है
  2. विकास सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है: विकास क्रम का व्यवहार सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है अर्थात् मनुष्य के विकास के सभी क्षेत्रों में सामान्य प्रतिक्रिया होती है उसके बाद विशिष्ट रूप धारण करती है. जैसे एक नवजात शिशु प्रारम्भ में एक समय में अपने पूरे शरीर को चलाता है फिर धीरे-धीरे विशिष्ट अंगों का उपयोग करने लगता है.
  3. परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत :किशोरावस्था के दौरान शरीर के साथ साथ संवेगात्मक , सामाजिक , संज्ञानात्मक एवं क्रियात्मकता भी तेजी से होता है .
  4. विकास अवस्थाओं के अनुसार होता है: सामान्य रूप में देखने पर एसा लगता है कि बालक का विकास रुक-रुक कर हो रहा है परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता. उदहारण के लिए जब बालक के दूध के दांत निकलते हैं तप ऐसा लगता है कि एकाएक निकल गया परन्तु इसकी नीव गर्भावस्था के पांचवे माह में पद जाती है और 5-6 महीने में आती है
  5. विकास एक सतत प्रक्रिया है: विकास एक सतत प्रक्रिया है, मनुष्य के जीवन में यह चलता रहता है. विकास की गति कभी तीव्र या अमंद हो सकती है. मनुष्य में गुणों का विकास यकायक नहीं होता. जैसे शारीरिक विकास गर्भावस्था से लेकर परिपक्वावस्था तक निरंतर चलता रहता है. परन्तु आगे चलकर बालक उठने-बैठने, चलने फिरने और दौड़ने भागने लगता है.
  6. बालक के विभिन्न गुण परस्पर सम्बंधित होते हैं: बालक के विकास का विभिन्न स्वरूप परस्पर सम्बंधित होते हैं. एक गुण का विकास जिस प्रकार हो रा है अन्य गुण भी उसी अनुपात में विकसित होंगे. उदहारण के लिए जिस बालक में शारीरिक क्रियाएँ जल्दी होती है वह शीघ्रता से बोलने भी लगता है जिससे उसके भीतर सामाजिकता का विकास तेजी से होता है. इसके विपरीत जिन बालकों के शारीरिक विकास की गति मंद होती है उनमें मानसिक तथा अन्य विकास भी देर से होता है.
  7. विभिन्न अंगों के विकास की गति में भिन्नता पाई जाती है: शरीर के विभिन्न अंगों के विकास की दर एक समान नहीं होता इनके विकास की गति में भिन्नता पाई जाती है. शरीर के कुछ अंग तेज गति से बढ़ते है ओर कुछ मंद गति से जैसे- मनुष्य की 6 वर्ष की आयु तक मस्तिष्क विकसित होकर लगभग पूर्ण रूप धारण कर लेता है, जबकि मनुष्य के हाथ, पैर, नाक मुंह, का विकास किशोरावस्था तक पूरा हो जाता है.
  8. विकास की गति एक समान नहीं होती: मनुष्य के विकास का क्रम एक समान हो सकता है, किन्तु विकास की गति एक समान नहीं होती जैसे- शैशवावस्था और किशोरावस्था में बालक के विकास की गति तीव्र होती है लेकिन आगे जाकर मंद हो जाती है और प्रौढ़ावस्था के बाद रुक जाती है. पुनः बालक ओर बालिकाओं के विकास की गति में भी अंतर होता है.
  9. विकास की प्रक्रिया का एकीकरण होता है: विकास की प्रक्रिया एकीकरण के सिद्धांत का पालन करती है. इसके अनुसार बालक पहले अपने सम्पूर्ण अंग को और फिर अंग के भागों को चलाना सीखता है बाद में वह इन भागों का एकीकरण करना सीखता है.
  10. विकास का एक निश्चित प्रतिरूप होता है: मनुष्य के विकास का एक क्रम में होता है और विकास की गति का प्रतिमान भी समान रहता है. सम्पूर्ण विश्व में सभी सामान्य बालकों का गर्भावस्था या जन्म के बाद विकास का क्रम सिर से पैर की ओर होता है. गेसेल और हरलॉक ने इस सिद्धांत की पुष्टि की है.
  11. विकास बहुआयामी होता है : इसका मतलब है की विकास कुछ छेत्रों में अधिक व कुछ में कम होता है .
  12. विकास बहुत ही लचीला होता है : इसका मतलब यह है की विकास किसी व्यक्ति अपनी पिछली कक्छा की विकास दर की तुलना में किसी विशेष छेत्र में विशेष योग्यता प्राप्त कर लेता है यह उसके परिवेश आदि पर निर्भर करता है .
  13. विकास प्रासंगिक हो सकता है : विकास एतिहासिक ,परिवेशीय , सामाजिक - संस्कृतिक घटकों से प्रभावित होता है .
  14. व्यक्तिक अंतर का सिद्धांत : विकासात्मक परिवर्तनों की दर में व्यक्तिगत अंतर हो सकता है और यह अनुवंशकीय घटकों व सामाजिक परिवेश पर निर्भर करता है . जैसे एक 3 वर्ष का बालक औसत 3 शब्दों के वाक्य आसानी से बोल लेता है वन्ही कुछ ऐसे भी बच्चे होतें है जो यह योग्यता 2 वर्ष की आयु में ही प्राप्त कर लेतें है तो कही ऐसे भी बचें होते है यो 4 वर्ष की आयु में भी वाक्य बोलने में कठिनाई महसूस करतें है .
  15. वृद्धि एवं विकास की गति की दर एक समान नहीं होती .
  16. विकास की प्रक्रिया एकीकरण के सिद्धांत का पालन करती हैं .
  17. वृद्धि एवं विकास की क्रिया वंशानुक्रम एवं वातावरण का परिणाम है

1. बाल विकास अध्ययन है -
A. बालक के व्यवहारों का
B. विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का
C. बालकों के विकास के विभिन्न छेत्रों का
D. उपयुक्त सभी का
2. विकास से तात्पर्य है -
A.गुणात्मक परिवर्तन से
B परिणामात्मक परिवर्तन से
C उपयुक्त दोनों से
D इनमे से कोई नहीं
3. विकास की प्रक्रिया ( संरचनावादियो के अनुसार ) -
A एक सतत प्रक्रिया होती है
B एक असतात प्रक्रिया होती है
C रुक रुक कर होने वाली प्रक्रिया होती है
D उपयुक्त में से कोई नहीं
4. वेंदुरा स्किनर ने विकास को -
A एक सतत प्रक्रिया होती है
B एक असतात प्रक्रिया होती है
C रुक रुक कर होने वाली प्रक्रिया होती है
D उपयुक्त में से कोई नहीं
5. निम्नलिखित में से कौन मानव विकास को सर्वाधिक प्रभावित करता है -
A बुद्धि
B कौशल
C रोग
D वंशानुक्रम एवं वातावरण
6. " विकास एक एईसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जन्म से लेकर उस समय तक चलती रहती है जब तक की वह पूर्ण विकास को प्राप्त नही हो जाता है " ये कथन किसका है ?
A हेडफील्ड का B गार्डन का
C पियाजे का D गिसेल का
7. किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार " विकास एक प्रकार का परिवर्तन है जिसके द्वारा बालकों में नविन गुणों एवं छमताओं का विकास होता है "
A हेडफील्ड का B गार्डन का
C पियाजे का D गिसेल का
8. "विकास प्राणी में प्रगतिशील परिवर्तन है , जो निश्चित लक्ष्यों की और निरंतर निर्देशित होता रहता है ." यह कथन है -
A हरलोक का B फ्रायड का
C ड्रेवर का D मुनरो का
9. अर्नेस्ट जोन्स के अनुसार , शैशवावस्था जन्म से कितने वर्ष तक मणि जाती है ?
A जन्म से 2 वर्ष तक
B जन्म से 3 वर्ष तक
C जन्म से 4 वर्ष तक
D जन्म से 5 वर्ष तक
10. अर्नेस्ट जोन्स के अनुसार विकास की अवस्था नहीं है -
A शैशवावस्था B बाल्यावस्था
C किशोरावस्था D पौडावस्था
उत्तर
1. D 2.C 3.B 4.A 5.D 6.D 7 D. 8.C 9 D. 10. D.

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